निर्भया से लेकर उन्नाव रेप केस तक, कानूनी तौर पर कहां तक पहुंचे मामले

 तेलंगाना में वेटरनरी डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के चार आरोपी शुक्रवार को पुलिस एनकाउंटर में मारे गए। 27 नवंबर को इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। सड़क से लेकर संसद तक इसके खिलाफ गुस्सा देखा गया। पुलिस ने 24 घंटे के भीतर ही चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। 6 दिसंबर को पुलिस टीम आरोपियों को लेकर घटनास्थल पहुंची। मकसद घटना का रीक्रिएशन कर सबूत जुटाना था। इस दौरान आरोपियों ने भागने की कोशिश की और जवाबी कार्रवाई में मारे गए। 2012 में निर्भया केस ने भी इसी तरह जनमानस को झकझोर दिया था। इसके बाद उन्नाव और कठुआ दुष्कर्म मामले भी हुए। ये सभी मामले कानूनी प्रक्रिया के दौर में हैं। यहां जानते हैं कि किस केस की कानूनी स्थिति फिलहाल क्या है। 



उन्नाव रेप केस
यह मामला 2017 में दर्ज हुआ। यूपी के उन्नाव से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर आरोपी हैं। बाद में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सात दिन में जांच का आदेश दिया। साथ ही इसकी सुनवाई दिल्ली की एक अदालत को सौंप दी। 2 अगस्त को जांच के लिए 7 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया। इसके पहले 28 जुलाई को पीड़िता एक सड़क हादसे में घायल हो गई। उसका दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज चल रहा है। हादसे में पीड़िता के अलावा उसके वकील गंभीर रूप से घायल हुए थे। दो महिला रिश्तेदारों की मौत हो गई थी। सेंगर के अलावा तीन अन्य आरोपी हैं और ये सभी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। सीबीआई और बचाव पक्ष अपनी दलीलें पूरी कर चुके हैं। 


मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस
बिहार के मुजफ्फरपुर का यह मामला पिछले साल यानी 2018 में सामने आया। कई नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण और उनके साथ मारपीट की गई। इसमें मुख्य आरोपी पूर्व विधायक ब्रजेश ठाकुर है। इस मामले में 12 दिसंबर को फैसला आ सकता है। इस मामले की जांच सीबीआई ने की। जांच एजेंसी का दावा है कि सभी 20 आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मौजूद हैं। मामले की सुनवाई दिल्ली की विशेष पॉक्सो अदालत कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। 30 सितंबर को अंतिम सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इस मामले में बिहार की पूर्व सामाजिक कल्याण मंत्री मंजू वर्मा भी आरोपी हैं। 


निर्भया रेप केस
दिसंबर 2012 में पैरामेडिकल स्टूडेंट के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया। एक आरोपी ने जेल में खुदकुशी कर ली थी।  बाकी चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। पिछले साल जुलाई में तीन दोषियों की रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। एक दोषी ने रिव्यू पिटीशन दायर नहीं की थी। एक आरोपी ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की है। गृह मंत्रालय ने इसे खारिज करने की अनुशंसा की है।